जो वालिद का बुढ़ापे में सहारा बन नहीं सकता By Sher << क़ुदरत की बरकतें हैं ख़ज़... ज़लज़ला आया तो दीवारों मे... >> जो वालिद का बुढ़ापे में सहारा बन नहीं सकता जो सच पूछो तो हो लख़्त-ए-जिगर अच्छा नहीं लगता Share on: