जो याद-ए-यार से गुफ़्त-ओ-शुनीद कर ली है By Sher << जुदाइयों की ख़लिश उस ने भ... मुसाफ़िर अपनी मंज़िल पर प... >> जो याद-ए-यार से गुफ़्त-ओ-शुनीद कर ली है तो गोया फूल से ख़ुश्बू कशीद कर ली है Share on: