जोश-ए-जुनूँ में वो तिरे वहशी का चीख़ना By Sher << बहार एक दम की है खुलता नह... माज़ी-ए-मरहूम की नाकामियो... >> जोश-ए-जुनूँ में वो तिरे वहशी का चीख़ना बंद अपने हाथ से दर-ए-ज़िंदाँ किए हुए Share on: