त'अना-ज़न कुफ़्र पे होता है अबस ऐ ज़ाहिद By Sher << आगे बढ़ूँ तो ज़र्द घटा मे... ये क्या कि हर वक़्त जी-हु... >> त'अना-ज़न कुफ़्र पे होता है अबस ऐ ज़ाहिद बुत-परस्ती है तिरे ज़ोहद-ए-रिया से बेहतर Share on: