जुदाई भी न होती ज़िंदगी भी सहल हो जाती By Sher << मोहतसिब तू ने किया गर जाम... अब जिस दिल-ए-ख़्वाबीदा की... >> जुदाई भी न होती ज़िंदगी भी सहल हो जाती जो हम इक दूसरे से मसअला तब्दील कर लेते Share on: