जुनूँ में और ख़िरद में दर-हक़ीक़त फ़र्क़ इतना है By Sher << दम-ए-तकफ़ीन भी गर यार आवे तुम्हारे नाम पे दिल अब भी... >> जुनूँ में और ख़िरद में दर-हक़ीक़त फ़र्क़ इतना है वो ज़ेर-ए-दर है साक़ी और ये ज़ेर-ए-दाम है साक़ी Share on: