जुर्म-ए-हस्ती की सज़ा क्यूँ नहीं देते मुझ को By Sher << कितने महबूब घरों से गए कि... न जाने कैसी महरूमी पस-ए-र... >> जुर्म-ए-हस्ती की सज़ा क्यूँ नहीं देते मुझ को लोग जीने की दुआ क्यूँ नहीं देते मुझ को Share on: