जुस्तुजू खोए हुओं की उम्र भर करते रहे By Sher << ख़ुद को बिखरते देखते हैं ... यहाँ कोताही-ए-ज़ौक़-ए-अमल... >> जुस्तुजू खोए हुओं की उम्र भर करते रहे चाँद के हमराह हम हर शब सफ़र करते रहे Share on: