काश तुम समझ सकतीं ज़िंदगी में शाएर की ऐसे दिन भी आते हैं By Sher << फ़िक्र-ए-मआश इश्क़-ए-बुता... ख़ामोशी का हासिल भी इक लम... >> काश तुम समझ सकतीं ज़िंदगी में शाएर की ऐसे दिन भी आते हैं जब उसी के पर्वर्दा चाँद उस पे हँसते हैं फूल मुस्कुराते हैं Share on: