काबे को गया छोड़ के क्यूँ दिल को तू ऐ शैख़ By Sher << कहता है तू कि तुझ को पाता... जो कोई आवे है नज़दीक ही ब... >> काबे को गया छोड़ के क्यूँ दिल को तू ऐ शैख़ टुक जी में समझता तो सही याँ भी तो रब था Share on: