कभी कभार उसे देख लें कहीं मिल लें By Sher << खुला फ़रेब-ए-मोहब्बत दिखा... ये आस्तान-ए-यार है सेहन-ए... >> कभी कभार उसे देख लें कहीं मिल लें ये कब कहा था कि वो ख़ुश-बदन हमारा हो Share on: