कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँही आँखें By Sher << कुछ लोग यूँही शहर में हम ... उसी से पूछो उसे नींद क्यू... >> कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँही आँखें उदास होने का कोई सबब नहीं होता Share on: