कभी मदफ़ून हुए थे जिस जगह पर कुश्ता-ए-अबरू By Sher << ये और बात तेरी गली में न ... हम भी कर लें जो रौशनी घर ... >> कभी मदफ़ून हुए थे जिस जगह पर कुश्ता-ए-अबरू अभी तक इस ज़मीं से सैकड़ों ख़ंजर निकलते हैं Share on: