कभी मैं ढलता हूँ काग़ज़ पे नक़्श की सूरत By Sher << इंसान की बुलंदी ओ पस्ती क... 'बिस्मिल' बुतों क... >> कभी मैं ढलता हूँ काग़ज़ पे नक़्श की सूरत मैं लफ़्ज़ बन के किसी की ज़बाँ में तैरता हूँ Share on: