कभी मोहब्बत से बाज़ रहने का ध्यान आए तो सोचता हूँ By Sher << बरसात का बादल तो दीवाना ह... सुना है कोई दीवाना यहाँ प... >> कभी मोहब्बत से बाज़ रहने का ध्यान आए तो सोचता हूँ ये ज़हर इतने दिनों से मेरे वजूद में कैसे पल रहा है Share on: