कभी तेग़-ए-तेज़ सुपुर्द की कभी तोहफ़ा-ए-गुल-ए-तर दिया By Sher << ख़ुश-लिबासी है बड़ी चीज़ ... हर सुब्ह निकलना किसी दीवा... >> कभी तेग़-ए-तेज़ सुपुर्द की कभी तोहफ़ा-ए-गुल-ए-तर दिया किसी शाह-ज़ादी के इश्क़ ने मिरा दिल सितारों से भर दिया Share on: