कभी तो लगता है ये उज़्र-ए-लंग है वर्ना By Sher << हाल कह देते हैं नाज़ुक से... अच्छा ये करम हम पे तू सय्... >> कभी तो लगता है ये उज़्र-ए-लंग है वर्ना मुझे तो कुफ़्र ने इस्लाम पर लगाया हुआ है Share on: