क्यूँ बाम पे आवाज़ों का धम्माल है 'अजमल' By Sher << मुद्दआ इज़हार से खुलता नह... डूब जाएँ न फूल की नब्ज़ें >> क्यूँ बाम पे आवाज़ों का धम्माल है 'अजमल' इस घर पे तो आसेब का साया भी नहीं है Share on: