क़दम ज़मीं पे न थे राह हम बदलते क्या By Sher << जो कुछ इशारे होते हैं सब ... शब की शब कोई न शर्मिंदा-ए... >> क़दम ज़मीं पे न थे राह हम बदलते क्या हवा बंधी थी यहाँ पीठ पर सँभलते क्या Share on: