क़दम उठा है तो पाँव तले ज़मीं ही नहीं By Sher << ये कैसा शहर है मैं किस अज... तुझ को बर्बाद तो होना था ... >> क़दम उठा है तो पाँव तले ज़मीं ही नहीं सफ़र का रंज हमें ख़्वाहिश-ए-सफ़र से हुआ Share on: