काफ़िर समा रहा है सारंग का ये लहरा By Sher << ख़याल कीजिए क्या काम आज म... हर-चंद कि आसी हूँ प उम्मत... >> काफ़िर समा रहा है सारंग का ये लहरा तबले की ताल-ओ-सम के हर हर परन के अंदर Share on: