काफ़िर-ए-इश्क़ हुआ जब से मैं इस दहर में हूँ By Sher << ख़ुद-कुशी भी नहीं मिरे बस... तू जिस्म है तो मुझ से लिप... >> काफ़िर-ए-इश्क़ हुआ जब से मैं इस दहर में हूँ है मिरे कुफ़्र से ये दीन और ईमाँ नाज़ाँ Share on: