कहानी फैल रही है उसी के चारों तरफ़ By Sher << मैं तो हर धूप में सायों क... किसी को ढूँडते हैं हम किस... >> कहानी फैल रही है उसी के चारों तरफ़ निकालना था जिसे दास्ताँ के अंदर से Share on: