क़हर थीं दर-पर्दा शब मज्लिस में उस की शोख़ियाँ By Sher << तीस चालीस दिन तो काट दिए रात कौन आया था >> क़हर थीं दर-पर्दा शब मज्लिस में उस की शोख़ियाँ ले गया दिल सब के वो और सब से शरमाता रहा Share on: