कहीं न था वो दरिया जिस का साहिल था मैं By Sher << माज़ी-ए-मरहूम की नाकामियो... वो एक आइना चेहरे की बात क... >> कहीं न था वो दरिया जिस का साहिल था मैं आँख खुली तो इक सहरा के मुक़ाबिल था मैं Share on: