कहना क़ासिद कि उस के जीने का By Sher << कुछ तो तन्हाई की रातों मे... सुना है सच्ची हो नीयत तो ... >> कहना क़ासिद कि उस के जीने का वादा-ए-वस्ल पर मदार है आज Share on: