कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं By Sher << पहले हर चीज़ थी अपनी मगर ... ज़ीस्त की यकसानियत से तंग... >> कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं कहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की Share on: