क़ैदी रिहा हुए थे पहन कर नए लिबास By Sher << बस एक बार वो आया था सैर क... हम अहल-ए-ग़म को हक़ारत से... >> क़ैदी रिहा हुए थे पहन कर नए लिबास हम तो क़फ़स से ओढ़ के ज़ंजीर चल पड़े Share on: