जनाब-ए-'कैफ़' ये दिल्ली है 'मीर' ओ 'ग़ालिब' की By Sher << गुफ़्तुगू तीर सी लगी दिल ... इन्ही ग़म की घटाओं से ख़ु... >> जनाब-ए-'कैफ़' ये दिल्ली है 'मीर' ओ 'ग़ालिब' की यहाँ किसी की तरफ़-दारियाँ नहीं चलतीं Share on: