क़िस्सा-ए-मजनूँ पसंद-ए-ख़ातिर जानाना है By Sher << क़िस्सा-ख़्वाँ बैठे हैं घ... क़िस्मत इक शब ले गई मुझ क... >> क़िस्सा-ए-मजनूँ पसंद-ए-ख़ातिर जानाना है वर्ना ख़्वाब-आवर तो अपने ग़म का भी अफ़्साना है Share on: