कैसे आता है दबे पाँव गुनाहों का ख़याल By Sher << बिछड़ के तुझ से अजब हाल ह... तुम समुंदर की रिफ़ाक़त पे... >> कैसे आता है दबे पाँव गुनाहों का ख़याल कितनी ख़ामोशी से दरवाज़ा खुला था पहले Share on: