कैसी बिपता पाल रखी है क़ुर्बत की और दूरी की By हिज्र, एहसास, Sher << मुसल्ला रखते हैं सहबा-ओ-ज... ज़मीं के मालिक-ओ-मुख़्तार... >> कैसी बिपता पाल रखी है क़ुर्बत की और दूरी की ख़ुशबू मार रही है मुझ को अपनी ही कस्तूरी की Share on: