कल के दिन जो गिर्द मय-ख़ाने के फिरते थे ख़राब By Sher << अपनी अपनी ज़ात में गुम है... जो भर भी जाएँ दिल के ज़ख़... >> कल के दिन जो गिर्द मय-ख़ाने के फिरते थे ख़राब आज मस्जिद में जो देखा साहब-ए-सज्जादा हैं Share on: