कल तलक सहरा बसा था आँख में By Sher << इस लिए सुनता हूँ 'मोह... बोझ उठाना शौक़ कहाँ है मज... >> कल तलक सहरा बसा था आँख में अब मगर किस ने समुंदर रख दिया Share on: