क़लम में ज़ोर जितना है जुदाई की बदौलत है By Sher << वो शहर छोड़ के मुद्दत हुई... प्यास की सल्तनत नहीं मिटत... >> क़लम में ज़ोर जितना है जुदाई की बदौलत है मिलन के ब'अद लिखने वाले लिखना छोड़ देते हैं Share on: