कम समझते नहीं हम ख़ुल्द से मयख़ाने को By Sher << किसी जानिब नहीं खुलते दरी... घर की तामीर तसव्वुर ही मे... >> कम समझते नहीं हम ख़ुल्द से मयख़ाने को दीदा-ए-हूर कहा चाहिए पैमाने को Share on: