'कँवल' ख़ुशी की हुआ करती है यूँही तकमील By Sher << जिस्म अपने फ़ानी हैं जान ... जो तू ने की सो दुश्मन भी ... >> 'कँवल' ख़ुशी की हुआ करती है यूँही तकमील ग़म-ए-हयात के हर बहर-ए-बे-कराँ से गुज़र Share on: