मैं शु'आ-ए-ज़ात के सीने में गूँजा हूँ कभी By Sher << बरस रही थी बारिश बाहर इस तरह कुछ बदल गई है ज़मी... >> मैं शु'आ-ए-ज़ात के सीने में गूँजा हूँ कभी और 'करामत' मैं कभी लम्हों के ख़्वाबों में रहा Share on: