करता है गर तू बुत-शिकनी तो समझ के कर By Sher << ज़बाँ हमारी न समझा यहाँ क... ज़रा रूठ जाने पे इतनी ख़ु... >> करता है गर तू बुत-शिकनी तो समझ के कर शायद कि उन के पर्दे में ज़ाहिद ख़ुदा भी हो Share on: