क़श्क़ा नहीं पेशानी पे उस माह-जबीं के By Sher << ख़्वाब टूटे पड़े हैं सब म... दिल में क्या क्या गुमाँ ग... >> क़श्क़ा नहीं पेशानी पे उस माह-जबीं के अल्लाह ने ये हुस्न के ख़िर्मन को है चाँका Share on: