कसरत-ए-दौलत में लुत्फ़-ए-ख़ाना-बरबादी भी है By Sher << ख़ूब ही फिर तो समझता मैं ... कार-ए-दीं या फ़िक्र-ए-दुन... >> कसरत-ए-दौलत में लुत्फ़-ए-ख़ाना-बरबादी भी है शहद के होने से लुट जाता है घर ज़ंबूर का Share on: