क़त्अ होती जा रही हैं ज़िंदगी की मंज़िलें By Sher << लिया है दिल ही फ़क़त और ज... कहाँ मिलेगी मिसाल मेरी सि... >> क़त्अ होती जा रही हैं ज़िंदगी की मंज़िलें हर नफ़्स अपनी जगह चलती हुई तलवार है Share on: