क़तील हो के भी मैं अपने क़ातिलों से लड़ा By Sher << कब बार-ए-तबस्सुम मिरे हों... कभी कभी तो अच्छा-ख़ासा चल... >> क़तील हो के भी मैं अपने क़ातिलों से लड़ा कि मेरे ब'अद मिरे दोस्तों की बारी थी Share on: