क़त्ल अमीर-ए-शहर का लाडला बेटा कर गया By Sher << जो कम-निगाह थे वही अहल-ए-... दर्द-ए-दिल क्या बयाँ करूँ... >> क़त्ल अमीर-ए-शहर का लाडला बेटा कर गया जुर्म मगर ग़रीब के लख़्त-ए-जिगर के सर गया Share on: