क़त्ल करने का इरादा है मगर सोचता हूँ By Sher << तमाम जिस्म को आँखें बना क... जहाँ में थी बस इक अफ़्वाह... >> क़त्ल करने का इरादा है मगर सोचता हूँ तू अगर आए तो हाथों में झिजक पैदा हो Share on: