क़त्ल-ए-आशिक़ किसी माशूक़ से कुछ दूर न था By Sher << रात मज्लिस में तिरे हुस्न... क़त्ल से मेरे वो जो बाज़ ... >> क़त्ल-ए-आशिक़ किसी माशूक़ से कुछ दूर न था पर तिरे अहद से आगे तो ये दस्तूर न था Share on: