कौन जाने कि इक तबस्सुम से By Sher << आँख उठाओ तो हिजाबात का इक... ये रहबर आज भी कितने पुरान... >> कौन जाने कि इक तबस्सुम से कितने मफ़्हूम-ए-ग़म निकलते हैं Share on: