कौन जाने किस घड़ी याँ क्या से क्या हो कर रहे By Sher << ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-... देखना है किस में अच्छी शक... >> कौन जाने किस घड़ी याँ क्या से क्या हो कर रहे ख़ौफ़ सा इक दरमियाँ होता है तेरे शहर में Share on: