क़ुर्बतें होते हुए भी फ़ासलों में क़ैद हैं Admin आजादी शायरी, Sher क़ुर्बतें होते हुए भी फ़ासलों में क़ैद हैं कितनी आज़ादी से हम अपनी हदों में क़ैद हैं Share on: