क़ुर्ब-ए-बदन से कम न हुए दिल के फ़ासले By Sher << का'बा हो दैर हो दोनों... नौजवानी में पारसा होना >> क़ुर्ब-ए-बदन से कम न हुए दिल के फ़ासले इक उम्र कट गई किसी ना-आश्ना के साथ Share on: